सपनों की उड़ान ....अंजनी कु. 
 सपनों की उड़ान में बह रहा हूँ 
 जाने क्या -क्या सह रहा हूँ  ।

 एक सपना , जिसे कभी देखा था ,
 एक सपना ,जिसे जगती आँखों में बुना था 
 एक सपना ,जिसके साथ जिया करता था 
 एक सपना ,जो तनहाइयों में साथ देती थी ।

 आज भी चमक उठती है ये आँखें 
 उन ख्वावों की दुनिया में डूबकर 
 पर जब देखता हूँ , उस सपने के पार 
 एक धुंधली-सी ख्वाव 
 टूटे दिलों की तार ,खुद से ही लाचार ।

 वे सपने आज भी मेरे पास आती है 
 फिर से वो मुझे ,अपने आगोश में भरती है 
 कहता हूँ , उसे ........
 जी लेने दो मुझे ,हकीकत की दुनिया में 
 खुश ना करो मुझे , एक पल के लिए 
 खुशियों को कभी पास से ना देखा 
 खुद को कभी हंसते नहीं देखा ।
 तुम तो कल्पना लोक के हो 
 मुझे मत धकेलो अपनी ख्वावों की दुनिया में 
 डरता हूँ ...
 जब ख्वावों की दुनिया से वापिस आता हूँ 
 सिसकती  है मेरी आत्मा ........
 तेरी ख्वावों की दुनिया में कैद होकर ।

 फिर भी वे सपने बार -बार आती है 
 खुद को ख्वावों की धुंध में उड़ाकर
 मुझे भी उड़ाती है ....

 इस तरह ..................
 सपनों की उड़ान में बह रहा हूँ 
 न जाने क्या -क्या सह रहा हूँ ।

 


 

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आशा ............अंजनी कु.

सब कुछ लुट चूका है , सब कुछ छुट चूका है
घर जो थी , वो भी जल चुकी है 
फिर भी आशा है , कुछ अच्छा होने की ,कुछ पाने की |

'जीवन ' में अब बचा है क्या
निराश हो गई है 'जिन्दगी '
 सब कुछ लुट चूका है , साथ किसी का छुट चूका है 
फिर भी आशा है , कुछ अच्छा होने की ,कुछ पाने की |

अब बचा कुछ भी नहीं, इस आशियाने में 
लगी है दुनिया , इसे भी जलाने में 
पर , सबकुछ तो जल चुकी है 
कुछ भी बचा न इस गरीब खाने में 
फिर भी आशा है...........
कुछ अच्छा होने की , मंजिल पाने की |

सोचा था , कट जायेंगें जीवन की घड़ियाँ हंसते-हंसते 
पर , जीवन में एसा मोड़ आया 
खुबसूरत घड़ियों में निराशा घोल आया 
फिर भी एक आस है , प्यास है
कुछ अच्छा होने की , मंजिल पाने की |

सबकुछ खो चूका हूँ 
दुखो का बीज जीवन में बो चूका हूँ 
अब कुछ भी नहीं है ,खोने की 
अब तो बस एक आस है.......
जीवन में , सुनहले पलों की होने की 
कुछ अच्छा होने की मंजिल पाने की 
आस है फिर से आशियाना बसाने की |

नहीं जानता , कब तक रहेगा अँधेरा जीवन में
कब तक रहेगा आशाओं  का सूरज डूबा हुआ
फिर भी एक आस है .........
उजाला होने की , मंजिल पाने की |

 





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सड़क के उस पार.........अंजनी कु.

सड़क के उस पार , सड़क के इस पार ........
सड़क के उस पार झुग्गी झोपड़ियों का अम्बार है 
सड़क के इस पार महलों की कतार है 
सड़क के उस पार पशुओं की गौशाला है
सड़क के इस पार गाड़ियों की गैरेज है ,
सड़क के उस पार की गलियाँ कच्ची और धुल भरी है
सड़क के इस पार की गलियाँ पक्की और चिकनी है |

सड़क के उस पार एक मदरसा है                             
सड़क के इस पार पब्लिक स्कूलें है
सड़क के उस पार का जीवन सरल है
सड़क के इस पार की जीवन रंग-बिरंगा है
सड़क के उस पार की शाम खामोश है
सड़क के इस पार की शाम रंगीन है
सड़क के उस पार कुछ दीएं का प्रकाश है
सड़क के इस पार प्रकाशों की पूंज है |


सड़क के उस पार के लोगों का पहनावा फटेहार है    
सड़क के इस पार का पहनावा रईसी है
सड़क के उस पार के लोग रोटी से मुहताज है
सड़क के इस पार लजीज भोज्य-प्रदार्थों का अम्बार है
सड़क के उस पार के लोगों के पैर नंगे है
सड़क के इस पार विदेशी बूटे है |

सड़क के उस पार मायूसी का त्योहार है
सड़क के इस पार होली की हुडदंग है 
सड़क के उस पार की रातें, सन्नाटों की शाला है
सड़क के इस पार की रातें दीवाली-सी जगमग है |

सड़क के उस पार की सुबह, वही पुराना है
सड़क के इस पार की सुबह , एक नया सुबह है
सड़क के उस पार के बच्चे को, इधर आने का सपना है
सड़क के इस पार के बच्चें , उधर जाने से डरते है 

आखिर कितना अंतर है .............?
सड़क के इस पार और उस पार में .......
काश ! सड़क के आर-पार न होते
न इस पार होते ,न उस पार होता |





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वेलेंटाइन डे ........अंजनी कु.


किसी  के लिए दिल में जगह बना लो  
एक  कोना दिल का खाली कर लो  
किसी का इंतेजार है तुम्हें  
कोई तेरा इंतजार कर रही है
दिल  की बातो को बयाँ कर दो  
उसे अहसाश दिया दो 
मरते हो तुम उस पर  
जीते हो उसके लिए  
हर घड़ी हर पल सपने बुनते हो 
उसके लिए 
तो सपने को कर दो हकीकत  
बता दो उसे की मेरा दिल धड़कता है  
तुम्हारी याद आती है 
तुम्हें अपना बनाना चाहता हू  
मै तेरे गोद में सर रखकर  
जीवन बिताना चाहता हू 
मै तुम्हें भूला नही सकता  
क्या तुम मेरे सपने में सपने देख सकती हो |
"

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आरक्षण .........अंजनी कु.

आरक्षण की भरमार है ,शुसासन की चाल है
स्कूलों के नामांकन में आरक्षण
शिक्षा-संस्थानों में आरक्षण
नौकरियों में आरक्षण
चारों ओर आरक्षण ही आरक्षण है |

आरक्षण के कारण साक्षर भी
निरक्षर जैसा हो रहे है
जिन्हें मिलना चाहिए रोजगार
वे वेरोजगार हो रहे है |

नौकरियों में अयोंग्यों की भरमार है
आरक्षियों को काम न करने से सरोकार है
पड़ रहा है गलत प्रभाव उधोगों पर
दिखता नहीं कुछ भी
देश में विकाश का असर |

आरक्षण का प्रभाव
विकाश पर नगण्य नजर आता है
क्योकि ले रहे है वही लाभ
जो इसके जन्मदाता है |

जब भी आती चुनाव की बेला
बढ़ जाती आरक्षण की मान
अपने खामियों को ढाकने हेतु
नेताएं बढ़ा देता है आरक्षण
क्यूंकि इसी पर निर्भर करता है पूरा शुसासन |

विधार्थियों पर लाठी बरसाई जा रही है
क्यूंकि आरक्षण को
जन-जन  में फैलाई जा रही है |

ये आरक्षण, कितनों को पहनाया ताज 
ये आरक्षण कितनो को कर दिया
रोटी से भी मुहताज |
ये आरक्षण बनी सरकार को भी
कितनों बार गिराई है ,
ये आरक्षण , हर रंग में भंग मिलाई है
ये आरक्षण अपने देश में
गजब की करतब दिखाई है |





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जब -जब याद आती आपकी वफाई......अंजनी कु.

जब-जब याद आती आपकी वफाई
आंशुयों की सैलाब लाती
यादों की बारात  लाती
आपका चेहरा ही
मेरे नजरों पे छा जाती...

पर ये कमबख्त आंसू
इसे धो डालती है ....
एक धुंध -सी लकीर बनकर
आपका चेहरा फिर से खो जाती है |

फिर भी यादों के ये पन्नें
समाप्त नही होते है ,
अगर एक समाप्त हो जाये
तो दूसरा तैयार होते है |

आप ही कहिए मै क्या करु
यादों के इन पन्नों को
मेरा जी चाहता है
की जला दूँ इन्हें पर ...

ये यादों के पन्नें ही तो
मेरे साथ परिछाई बनके रहती है
आप जुदा रहते है
पर ये जुदा नहीं रहती है |



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आग की लपटे.........अंजनी कु.

जलती है धू-धू करती है  , लपटे छोड़ती है अपनी
लोग जानते है , और कहते है आग की लपटे |
कुछ और है ..................?आग की लपटे .............

कुछ हकिकत है  , कुछ फंसाना है 
कुछ दृश्य है  , कुछ अदृश्य है |
जब भी धधकती है , तो उसमे मानव की आदर्षता भी जल जाती है ,
जब ये उठती है  , तो मानव की विनम्रता को भी उड़ा देती है |

ये आग की लपटे हि कुछ अनोखा है................
ये भयावह है , ये सुरसा है 
ये जलती है उन्ही में जो , निर्धन है  |

मृत्यू की शैल्या पर भी पहूँचा देती है ....आग की लपटे 
जात बेचबाती है , पहचान छिपवाती है .........आग की लपटे 
मुखौटा पह्नवाती है , मारपीट करवाती है ......आग की लपटे |

इन आग की उड़ती लपटों ने ,कितनो को उड़ाई है
फिर उसे उड़ा कर , जमी पे भी गिराई है |

ये आग की लपटें हि कुछ एसा है ........
हर भूखा प्यासा है , उन्ही में जलती है ये लपटें
क्योकि ये लपटें है ..........भूख की आग की लपटे |


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