आग की लपटे.........अंजनी कु.

जलती है धू-धू करती है  , लपटे छोड़ती है अपनी
लोग जानते है , और कहते है आग की लपटे |
कुछ और है ..................?आग की लपटे .............

कुछ हकिकत है  , कुछ फंसाना है 
कुछ दृश्य है  , कुछ अदृश्य है |
जब भी धधकती है , तो उसमे मानव की आदर्षता भी जल जाती है ,
जब ये उठती है  , तो मानव की विनम्रता को भी उड़ा देती है |

ये आग की लपटे हि कुछ अनोखा है................
ये भयावह है , ये सुरसा है 
ये जलती है उन्ही में जो , निर्धन है  |

मृत्यू की शैल्या पर भी पहूँचा देती है ....आग की लपटे 
जात बेचबाती है , पहचान छिपवाती है .........आग की लपटे 
मुखौटा पह्नवाती है , मारपीट करवाती है ......आग की लपटे |

इन आग की उड़ती लपटों ने ,कितनो को उड़ाई है
फिर उसे उड़ा कर , जमी पे भी गिराई है |

ये आग की लपटें हि कुछ एसा है ........
हर भूखा प्यासा है , उन्ही में जलती है ये लपटें
क्योकि ये लपटें है ..........भूख की आग की लपटे |


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3 comments:

mridula pradhan said...

sunder kavitayen......

Anjani said...

thnx

ANJALI said...

Awesome lines

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