जलती है धू-धू करती है , लपटे छोड़ती है अपनी
लोग जानते है , और कहते है आग की लपटे |
कुछ और है ..................?आग की लपटे .............
कुछ हकिकत है , कुछ फंसाना है
कुछ दृश्य है , कुछ अदृश्य है |
जब भी धधकती है , तो उसमे मानव की आदर्षता भी जल जाती है ,
जब ये उठती है , तो मानव की विनम्रता को भी उड़ा देती है |
ये आग की लपटे हि कुछ अनोखा है................
ये भयावह है , ये सुरसा है
ये जलती है उन्ही में जो , निर्धन है |
मृत्यू की शैल्या पर भी पहूँचा देती है ....आग की लपटे
जात बेचबाती है , पहचान छिपवाती है .........आग की लपटे
मुखौटा पह्नवाती है , मारपीट करवाती है ......आग की लपटे |
इन आग की उड़ती लपटों ने ,कितनो को उड़ाई है
फिर उसे उड़ा कर , जमी पे भी गिराई है |
ये आग की लपटें हि कुछ एसा है ........
हर भूखा प्यासा है , उन्ही में जलती है ये लपटें
क्योकि ये लपटें है ..........भूख की आग की लपटे |
इन आग की उड़ती लपटों ने ,कितनो को उड़ाई है
फिर उसे उड़ा कर , जमी पे भी गिराई है |
ये आग की लपटें हि कुछ एसा है ........
हर भूखा प्यासा है , उन्ही में जलती है ये लपटें
क्योकि ये लपटें है ..........भूख की आग की लपटे |
3 comments:
sunder kavitayen......
thnx
Awesome lines
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