पहला प्यार .............अंजनी कु.

पहली प्यार कभी भुलाये भी भूली नही जाती क्या है ये पहला-पहला प्यार ,हर कोई अंजान है इससे ,हर कोई बेखबर है इससे लोग लाख भुलाना चाहे ,फिर भी भुला नही पाते है....अपनी पहली मोहबत्त को, अपनी पहले चाहत को उस समय हर कोई अंजान होता है , कि कैसे कोई चुपके से उसके दिल के आंगन में दस्तक दे देती है, और पता चलता है तब ,जब वो पूरी तरह से उसके प्यार में खो जाता है यह तक कि आदर्शो पर चलने वाला कठोर ह्रदय दिल में भी कब प्यार के नर्म घास उग जाते है , ये उसे पता नही चलता जब पता चलता है तो वो पाता है कि वो तो किसी के प्यार में पूरी तरह से बंध चूका है ,और फिर उसी कि याद में आहें भरता रहता है हर सभी कि पहली प्यार कि ,पहली चाहत कि एक अजब -अनोखी ,रोमांटिक कहानी होती है जिसे वो जब भी अपने जिन्दगी में याद करता है तो एक मुस्कान के साथ आंसू के दो बूंद उसके गालो को सहलाते हुए होठो को चूम कर उसके महबूब के पुकार में खो जाता है

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ख़ामोशी ....अंजनी कु.


ये खामोश आंखे भी बड़ी

अजीब चीज होती है

जब भी मिलती है किसी से

लाखों सवाल कर kr जाती

येसा क्यों ......................

खामोश है आप , खामोश है आपकी ऑंखें

खामोश है आपकी मोह्हबत ,खामोश है आपकी पैगाम

खामोश है आपकी अदाएं ,खामोश है आपकी चाहत

ख़ामोशी की साया हर तरफ ,बिछाए है haiआप

शायद ख़ामोशी से रिश्ता जोड़ लिए है

या शायद ख़ामोशी ही आपके दिल को सुकून sukoonदेती होगी

या शायद ख़ामोशी ही आपकी हौसला अफजाई करती है

पर....................................

ये   ख़ामोशी

बड़ा बेदर्द होता है,

शायद आपको मालूम नही

क्या है  ख़ामोशी

हर वह बदनसीब है , जो खामोश है ,

हर वह बेचैन है ,जो खामोश है ,

हर वह गमजदा है ,जो खामोश है

यह आंशुओं की निशब्द घाटी है ,

यह ह्रदय की दुखांत परिपाटी है

इसलिए कभी खामोश नहीं रहना

जीते-जी बेमौत न मरना



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इंसान का दिल..........अंजनी कु.

इंसान का दिल भी अजीब होता है कभी मोम की तरह पिघल जाता है , तो कभी पत्थर बन क्या -क्या सह जाता है शायद इसी लिए कहा जाता है की रिश्ते दिल से बनते है स्तिथि -परिस्तिथियों के हिसाब से जो दिल को भा गया ,वह अपना हो गया और जिसने दिल को दुखा दिया वह दुश्मन बन गया

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बचपन की यादें ....अंजनी कु.

बचपन की यादें ... आज फिर दिल में आया , एक हुक -सी उठी जेहन में मन मेरा उस में समाया मै याद करू मीठी यादें जो बरसों पहले गुजर गयीं , मै याद करू उन दोस्तों को जो संग मेरा छोड़ गया हाँ -हाँ याद आया वो पल जब मै अठखेलीयां किया करता एक मासूम-सा था वो पल बड़ा अलबेला बना करता कभी कांच की गोलियों से मै मन बहलाया करता , कभी लुकाछिपी के खेल में खुद को दोस्तों से छिपाया करता आज खुद छिपे है दोस्त मेरे मै अश्हाय उन्हें खोज रहा , उनके दीदार करने के लिए कोई बहाना खोज रहा हाँ -हाँ याद आया वो पल जब नदियाँ के जल से खेला करता नदियाँ की शक्ति से मै अपने शक्ति को तौला करता कभी दोस्तों के संग लड़ाई -झगड़ा किया करता कभी बन उसका प्यारा सुख -दुःख पूछा करता पर , आज वो सब .... एक सपना बनकर रह गया मेरे दिल के एक कोने में एक डिबिया में बंद होकर रह गया आज बचपन की यादें कर मेरी आँखे भर गायी , इस धरती से टकराने से पहले आंसू निर्झर बन के गिर गयी

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दिल उदास क्यों है ........

होता अगर खुशनशीब तो मिलती मोहब्बत मुझको मेरी
न बिखरती इस तरह , जो हुई हालत मेरी
आज फिर दिल ने कहा , तेरा दिल उदास क्यों है
तेरी आँखों में इतनी प्यास क्यों है .....
जिसके पास तेरे लिए वक्त नही है
वही तेरे लिए खास क्यों है

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अगर मुझे पावर मिल जाये तो......अंजनी कु.

एक आदमी बहुत दिनों तक बैसाखी के सहारे चला , ज्योही उसकी बैसाखी छीन ली गई , उसकी गति रुक गई यह हाल उसकी है जो दुसरे के अवलंब या सहारे कुछ कर गुजरने का अभ्यासी है इसलिए अगर मुझे पॉवर मिल जाये तो "मैं लोगों को स्वालंबी बनाऊंगा इसके लिए उपयुक्त शिक्षा , उचित मॉहौल और उपयुक्त रोजगार की व्यवस्था करूंगा

लोगों में जब स्वाबलंबन की भावना आएगी तो पूरी सत्ता व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी भ्रष्ट और घुसखोर लोंगो की कमी होगीपूरी सत्ता व्यबस्था सुदृढ़ होगी और देश प्रगति के शिखर पर विराजमान होगा

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एक तस्बीर .....अंजनी कु.

मेरी निगाहों में मेरी सपनों के लकीरों से खिंची गई तस्बीर हो तुम उस तस्बीर में मेरे लिए निकली हुई तक़दीर हो तुम मेरे मायूस दिल के लिए एक रंगीन हो तुम तुम एक जबाब हो , तुम एक सबाल हो आज भी अधखुली किताब हो जितनी भी तस्बीर आँखों में बसाई, दिल में सजाई, कूंचे से बनाई उनमे तुम खास हो जिन्दगी की आस हो तुम अनबुझी प्यास हो ......

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PYAR......PAGAL BHAVNA

PYAR BHI KAISI PAGAL BHAVNA HAI, PAGAL HI NHI ANDHI BHI.BRABAR THUKRAYE JANE PR BHI VO USI DARVAJE PAR DASTAK KYU DETI HAI,JHA MASUM BHAVNAYO KO PAIRO TLE KUCHAL DIYA JATA HAI. EK BAR DIL KA KHUN HO JANE PAR KYU BRABAR YHI KOSHISH HOTI HAI KI CHAHE DIL KA KHUN HO LEKIN DIL USI PTTHAR DIL KO DENGE, JISKE UPEKSHA SE USKE TUKDE-TUKDE KR DIYE.

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LOVE

PREM KI GHRAI ANANT HOTI HAI ESE SIRF DILO KE RISTO TAK SIMIT NHI KIYA JA SKTA. PREM JAB ATMAYO KE MILAN KE STR PR HO TO USE SHABDO ME BANDHNA SHAMBHAV HI NHI ASHAMBHAV HO JATA HAI.
MOHBBAT TO HWA KA VO JHOKA HAI JISE N UMR BANDH SKI HAI N SHARHAD AUR N HI KOI RSMO-RIVAJ KI DIWAR. FIJA SE KHOOSHBOO CHURAKAR CHUPKE SE KAB YE DILO-DIMAG PAR CHHA JAYE, ESKI KHABAR TAK NHI HOTI.AUR BEKHUDI KE IS AARAM ME MUHBBAT KRNE BALE IS JHOKE KE SATH-SATH BHTE JATE HAI-KHUD SE BEKHABR AUR DUNIYA JHAN SE BHI. YHI MUHBBAT KA JUNUN HAI, USUL HAI,RIVAJ HAI,DSTUR HAI.

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UMMID JINDAGI KI AKELI PRIBHASHA HAI.

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