आशा ............अंजनी कु.

सब कुछ लुट चूका है , सब कुछ छुट चूका है
घर जो थी , वो भी जल चुकी है 
फिर भी आशा है , कुछ अच्छा होने की ,कुछ पाने की |

'जीवन ' में अब बचा है क्या
निराश हो गई है 'जिन्दगी '
 सब कुछ लुट चूका है , साथ किसी का छुट चूका है 
फिर भी आशा है , कुछ अच्छा होने की ,कुछ पाने की |

अब बचा कुछ भी नहीं, इस आशियाने में 
लगी है दुनिया , इसे भी जलाने में 
पर , सबकुछ तो जल चुकी है 
कुछ भी बचा न इस गरीब खाने में 
फिर भी आशा है...........
कुछ अच्छा होने की , मंजिल पाने की |

सोचा था , कट जायेंगें जीवन की घड़ियाँ हंसते-हंसते 
पर , जीवन में एसा मोड़ आया 
खुबसूरत घड़ियों में निराशा घोल आया 
फिर भी एक आस है , प्यास है
कुछ अच्छा होने की , मंजिल पाने की |

सबकुछ खो चूका हूँ 
दुखो का बीज जीवन में बो चूका हूँ 
अब कुछ भी नहीं है ,खोने की 
अब तो बस एक आस है.......
जीवन में , सुनहले पलों की होने की 
कुछ अच्छा होने की मंजिल पाने की 
आस है फिर से आशियाना बसाने की |

नहीं जानता , कब तक रहेगा अँधेरा जीवन में
कब तक रहेगा आशाओं  का सूरज डूबा हुआ
फिर भी एक आस है .........
उजाला होने की , मंजिल पाने की |

 





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सड़क के उस पार.........अंजनी कु.

सड़क के उस पार , सड़क के इस पार ........
सड़क के उस पार झुग्गी झोपड़ियों का अम्बार है 
सड़क के इस पार महलों की कतार है 
सड़क के उस पार पशुओं की गौशाला है
सड़क के इस पार गाड़ियों की गैरेज है ,
सड़क के उस पार की गलियाँ कच्ची और धुल भरी है
सड़क के इस पार की गलियाँ पक्की और चिकनी है |

सड़क के उस पार एक मदरसा है                             
सड़क के इस पार पब्लिक स्कूलें है
सड़क के उस पार का जीवन सरल है
सड़क के इस पार की जीवन रंग-बिरंगा है
सड़क के उस पार की शाम खामोश है
सड़क के इस पार की शाम रंगीन है
सड़क के उस पार कुछ दीएं का प्रकाश है
सड़क के इस पार प्रकाशों की पूंज है |


सड़क के उस पार के लोगों का पहनावा फटेहार है    
सड़क के इस पार का पहनावा रईसी है
सड़क के उस पार के लोग रोटी से मुहताज है
सड़क के इस पार लजीज भोज्य-प्रदार्थों का अम्बार है
सड़क के उस पार के लोगों के पैर नंगे है
सड़क के इस पार विदेशी बूटे है |

सड़क के उस पार मायूसी का त्योहार है
सड़क के इस पार होली की हुडदंग है 
सड़क के उस पार की रातें, सन्नाटों की शाला है
सड़क के इस पार की रातें दीवाली-सी जगमग है |

सड़क के उस पार की सुबह, वही पुराना है
सड़क के इस पार की सुबह , एक नया सुबह है
सड़क के उस पार के बच्चे को, इधर आने का सपना है
सड़क के इस पार के बच्चें , उधर जाने से डरते है 

आखिर कितना अंतर है .............?
सड़क के इस पार और उस पार में .......
काश ! सड़क के आर-पार न होते
न इस पार होते ,न उस पार होता |





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