वेलेंटाइन डे ........अंजनी कु.


किसी  के लिए दिल में जगह बना लो  
एक  कोना दिल का खाली कर लो  
किसी का इंतेजार है तुम्हें  
कोई तेरा इंतजार कर रही है
दिल  की बातो को बयाँ कर दो  
उसे अहसाश दिया दो 
मरते हो तुम उस पर  
जीते हो उसके लिए  
हर घड़ी हर पल सपने बुनते हो 
उसके लिए 
तो सपने को कर दो हकीकत  
बता दो उसे की मेरा दिल धड़कता है  
तुम्हारी याद आती है 
तुम्हें अपना बनाना चाहता हू  
मै तेरे गोद में सर रखकर  
जीवन बिताना चाहता हू 
मै तुम्हें भूला नही सकता  
क्या तुम मेरे सपने में सपने देख सकती हो |
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आरक्षण .........अंजनी कु.

आरक्षण की भरमार है ,शुसासन की चाल है
स्कूलों के नामांकन में आरक्षण
शिक्षा-संस्थानों में आरक्षण
नौकरियों में आरक्षण
चारों ओर आरक्षण ही आरक्षण है |

आरक्षण के कारण साक्षर भी
निरक्षर जैसा हो रहे है
जिन्हें मिलना चाहिए रोजगार
वे वेरोजगार हो रहे है |

नौकरियों में अयोंग्यों की भरमार है
आरक्षियों को काम न करने से सरोकार है
पड़ रहा है गलत प्रभाव उधोगों पर
दिखता नहीं कुछ भी
देश में विकाश का असर |

आरक्षण का प्रभाव
विकाश पर नगण्य नजर आता है
क्योकि ले रहे है वही लाभ
जो इसके जन्मदाता है |

जब भी आती चुनाव की बेला
बढ़ जाती आरक्षण की मान
अपने खामियों को ढाकने हेतु
नेताएं बढ़ा देता है आरक्षण
क्यूंकि इसी पर निर्भर करता है पूरा शुसासन |

विधार्थियों पर लाठी बरसाई जा रही है
क्यूंकि आरक्षण को
जन-जन  में फैलाई जा रही है |

ये आरक्षण, कितनों को पहनाया ताज 
ये आरक्षण कितनो को कर दिया
रोटी से भी मुहताज |
ये आरक्षण बनी सरकार को भी
कितनों बार गिराई है ,
ये आरक्षण , हर रंग में भंग मिलाई है
ये आरक्षण अपने देश में
गजब की करतब दिखाई है |





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जब -जब याद आती आपकी वफाई......अंजनी कु.

जब-जब याद आती आपकी वफाई
आंशुयों की सैलाब लाती
यादों की बारात  लाती
आपका चेहरा ही
मेरे नजरों पे छा जाती...

पर ये कमबख्त आंसू
इसे धो डालती है ....
एक धुंध -सी लकीर बनकर
आपका चेहरा फिर से खो जाती है |

फिर भी यादों के ये पन्नें
समाप्त नही होते है ,
अगर एक समाप्त हो जाये
तो दूसरा तैयार होते है |

आप ही कहिए मै क्या करु
यादों के इन पन्नों को
मेरा जी चाहता है
की जला दूँ इन्हें पर ...

ये यादों के पन्नें ही तो
मेरे साथ परिछाई बनके रहती है
आप जुदा रहते है
पर ये जुदा नहीं रहती है |



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आग की लपटे.........अंजनी कु.

जलती है धू-धू करती है  , लपटे छोड़ती है अपनी
लोग जानते है , और कहते है आग की लपटे |
कुछ और है ..................?आग की लपटे .............

कुछ हकिकत है  , कुछ फंसाना है 
कुछ दृश्य है  , कुछ अदृश्य है |
जब भी धधकती है , तो उसमे मानव की आदर्षता भी जल जाती है ,
जब ये उठती है  , तो मानव की विनम्रता को भी उड़ा देती है |

ये आग की लपटे हि कुछ अनोखा है................
ये भयावह है , ये सुरसा है 
ये जलती है उन्ही में जो , निर्धन है  |

मृत्यू की शैल्या पर भी पहूँचा देती है ....आग की लपटे 
जात बेचबाती है , पहचान छिपवाती है .........आग की लपटे 
मुखौटा पह्नवाती है , मारपीट करवाती है ......आग की लपटे |

इन आग की उड़ती लपटों ने ,कितनो को उड़ाई है
फिर उसे उड़ा कर , जमी पे भी गिराई है |

ये आग की लपटें हि कुछ एसा है ........
हर भूखा प्यासा है , उन्ही में जलती है ये लपटें
क्योकि ये लपटें है ..........भूख की आग की लपटे |


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