आशा ............अंजनी कु.

सब कुछ लुट चूका है , सब कुछ छुट चूका है
घर जो थी , वो भी जल चुकी है 
फिर भी आशा है , कुछ अच्छा होने की ,कुछ पाने की |

'जीवन ' में अब बचा है क्या
निराश हो गई है 'जिन्दगी '
 सब कुछ लुट चूका है , साथ किसी का छुट चूका है 
फिर भी आशा है , कुछ अच्छा होने की ,कुछ पाने की |

अब बचा कुछ भी नहीं, इस आशियाने में 
लगी है दुनिया , इसे भी जलाने में 
पर , सबकुछ तो जल चुकी है 
कुछ भी बचा न इस गरीब खाने में 
फिर भी आशा है...........
कुछ अच्छा होने की , मंजिल पाने की |

सोचा था , कट जायेंगें जीवन की घड़ियाँ हंसते-हंसते 
पर , जीवन में एसा मोड़ आया 
खुबसूरत घड़ियों में निराशा घोल आया 
फिर भी एक आस है , प्यास है
कुछ अच्छा होने की , मंजिल पाने की |

सबकुछ खो चूका हूँ 
दुखो का बीज जीवन में बो चूका हूँ 
अब कुछ भी नहीं है ,खोने की 
अब तो बस एक आस है.......
जीवन में , सुनहले पलों की होने की 
कुछ अच्छा होने की मंजिल पाने की 
आस है फिर से आशियाना बसाने की |

नहीं जानता , कब तक रहेगा अँधेरा जीवन में
कब तक रहेगा आशाओं  का सूरज डूबा हुआ
फिर भी एक आस है .........
उजाला होने की , मंजिल पाने की |

 





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